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UP Shahjahanpur Gang Rape: संडे जज्बात-12 की उम्र में रेप हुआ,13 में मां बनी: जिसे मरा बताया गया, उसी बेटे ने बलात्कारियों को पहुंचाया…

UP Shahjahanpur Gang Rape: संडे जज्बात-12 की उम्र में रेप हुआ,13 में मां बनी: जिसे मरा बताया गया, उसी बेटे ने बलात्कारियों को पहुंचाया…

Uttar Pradesh Shahjahanpur Gang Rape Victim Story: संडे जज्बात-12 की उम्र में रेप हुआ,13 में मां बनी: जिसे मरा बताया गया, उसी बेटे ने बलात्कारियों को पहुंचाया…

Uttar Pradesh (UP) Shahjahanpur Gang Rape Victim Story; बलात्कारियों का पता लगाना चाहिए, उनके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए। बड़े बेटे बोला कि हम कब तक ऐसे जीते रहेंगे? हमने कोई गलती नहीं की है।

मैं पिंकी। उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूं। अप्रैल 2010 की बात है। मेरे घर के बाहर काफी देर से एक बच्चा बैठा था। उम्र उसकी 10-12 साल रही होगी। वह बच्चा कभी उठकर थोड़ी दूर जाता, फिर लौटकर उसी जगह पर बैठ जाता।

एक बार ताे लगा कि यह किसी पड़ोसी का बच्चा होगशाम के 7 बज रहे थे। घर से निकली तो बच्चा मुझे उसी जगह पर बैठा दिखा। तब मैंने उसे बुलाया। उसने बिना बोले चुपचाप मुझे एक पर्ची थमा दी, जिस पर मेरा नाम और घर का पता लिखा…

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मैंने फोन झट से रख दिया और अपनी जिंदगी में होने वाले अगले नाटक के लिए तैयार हो गई। हां, यह मेरा ही बच्चा था। अब इसको पालना मेरी जिम्मेदारी थी। पिंकी और उनके दोनों बच्चों की यह पुरानी तस्वीर है। छोटी सी उम्र में ही दोनों बेटों ने मां को हिम्मत और हौसला दिया ताकि वह बलात्कारियों को सजा दिलवा सकें।

इन सबके बीच तीन साल गुजर गए। उनकी बदतमीजी बढ़ती जा रही थी। मैं 12 साल की हो गई थी। एक दिन एक लड़के ने मुझे जबरदस्ती छूने की कोशिश की, मैंने घर पर बताया। दीदी ने सुनते ही कहा- दूसरे रास्ते से स्कूल जाया करो। जीजा जी का रिएक्शन था- अरे मैं सबको जानता हूं, सब तुम्हारी उम्र के ही हैं। इतना मत सोचो।

रेप की घटना के बाद पिंकी डरी-सहमी रहती थीं। आज भी उन्हें लगता है कि उनकी चुप्पी ने ही घरवालों को मुसीबत में डाला था। इसके बाद पति का व्यवहार ही बदल गया। उन लोगों की ‘बदनामी’ होने लगी। धीरे-धीरे मुझे अलग-थलग कर दिया गया। न कोई बात करता था, न ही कोई खाना-पीना पूछता।

सास मुझे मिट्टी का चूल्हा और थोड़ा सा राशन अलग दे चुकी थीं। मुझे अपना खाना वहीं बनाना होता था। कई बार सिर्फ एक आलू देकर कहती थीं, खाना बना लो। मैं बाहर से कोई सामान नहीं मंगवा पाती थी।

लखनऊ में रहते-रहते तकरीबन दो साल हो गए थे जब मेरी मुलाकात बड़े बेटे से हुई। अप्रैल 2010 में जब बड़े बेटे से पहली मुलाकात हुई तब छोटा बेटा आठ साल का था। मेरा जवाब था, ‘उस इलाके में वह लोग पावरफुल हैं। उनसे नहीं उलझना चाहिए। हमें दूर ही रहना चाहिए। वैसे भी इस बात को अब 25 साल हो गए हैं।’

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